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डायबिटीज के इलाज, जागरूकता व शोधों पर विशेषज्ञों ने किया मंथन

आरएसएसडीआई) की चार दिवसीय 47वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस संपन्न
जयपुर। रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) की 47वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस रविवार को सीतापुरा स्थित जेईसीसी में सम्पन्न हो गई। इस चार दिवसीय कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के 6000 से भी अधिक विशेषज्ञों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। कॉन्फ्रेंस के दौरान 12 इंटरनेशनल और 400 भारतीय विशेषज्ञों ने 33 सेशन लिए। इनमें टेक्नोलॉजी सेशन डायबिटीज रिवर्सल, आरएसएसडीआई गाइडलाइन फॉर पेपर राइटिंग और सॉफ्ट स्किल डेवलपमेंट पर स्पेशल सेशन भी रखे गए। आयोजन सचिव डॉ. प्रकाश केसवानी व मुख्य समन्वयक डॉ. सी.एल. नवल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दौरान 150 से अधिक रिसर्च पेपर का वाचन किया गया। विभिन्न सत्रों में डायबिटिज के क्षेत्र में नए अनुसंधान, प्रयोग, डायबिटीज को रोकने व प्रभावी ढंग से इलाज पर विस्तार से चर्चा हुई। साथ ही डायबिटीज के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 'वॅाकथन' का आयोजन भी किया गया जिसमें डॉक्टर्स सहित 3000 से अधिक लोगों ने कदम से कदम मिलाए। वैज्ञानिक सत्र के को चेयरमैन, डॉ. अरविंद गुप्ता ने बताया कि कॉन्फ्रेंस समापन के अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार भी वितरित किए गए। जिसमें ओरल रिसर्च पेपर के लिए कोलकाता के संजय शाह को पहला पुरस्कार, अंबाला से सुरुचि जैन को दूसरा और अभिषेक पांडे और बेंगलुरु के जस्टिन को संयुक्त रूप से तीसरा पुरस्कार दिया गया। वहीं पोस्टर्स में टीना राजन और चंद्रशेखर को पहला पुरस्कार, विपिन तलवार और आनंद मोहक को दूसरा और जयपुर के विष्णु गुप्ता व देवाशीष गुलजायरे को तीसरा पुरस्कार दिया गया। सोसाइटी की 48वीं वार्षिक कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजर चेयरमैन विनय पानिकर ने बताया कि अगली  वार्षिक कॉन्फ्रेंस मुंबई में 3 से 6 दिसंबर को होगी।


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