जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुरूवार को यहां राजभवन में जयपुर शहर के 130 बच्चों के साथ देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की 130वीं जयंती मनाई। राज्यपाल ने प्रत्येक बच्चे को महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य के प्रयोग की प्रति और टॉफियां भेंट की। राज्यपाल ने बच्चों के प्रश्नों के जबाव भी दिये।
राज्यपाल ने बच्चों से कहा कि साहसी बनो, आत्मविश्वास के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति करो, जीवन में बाधाएं तो आयेंगी ही, लेकिन उनसे घबराना नही है बल्कि दृढ़ता से उन बाधाओं से मुकाबला करोगे तब ही जीवन में सफलता प्राप्त कर सकोगे। राज्यपाल ने कहा कि बच्चे देश का भविष्य हैं। इन्हीं बच्चों में से कोई देश का प्रधानमंत्री बनेगा तो कोई राष्ट्रपति होगा। कोई अच्छा लेखक होगा तो कोई अध्यापक बनेगा। आप सभी मिल-जुल कर भारत को विश्व गुरू बनायें। राजभवन में दो घंटे चले कार्यक्रम में बच्चों ने राज्यपाल से सवाल किये।
नेता बनने का फैसला मैंने नहीं लिया
राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि उन्होंने यह कभी नही सोचा था कि वे नेता बनेंगे या राज्यपाल। राज्यपाल ने एक बच्चे के प्रश्न का जबाब देते हुए कहा कि जब वे बनारस में अध्ययन कर रहे थे, तब वहां वे वरिष्ठ छात्रों के सम्पर्क में आये तो उन्हें जब भी कोई दायित्व मिला, उसे उन्होंने जिम्मेदारी से पूरा किया। राज्यपाल ने कहा कि 'मेरा ध्येय था कि देश के लिए कार्य करूं। इसी ध्येय पर वे कार्य करते रहे और जब भी कोई जिम्मेदारी उन्हें मिली, उसे निष्ठा व ईमानदारी से पूरा किया।
देश सेवा के लिए जरूरी नहीं कि नेता ही बनें
राज्यपाल ने कहा कि देश सेवा के लिए राजनीति ही एक मात्र क्षेत्र नहीं है बल्कि जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा है, उसे ईमानदारी से पूरा करेगा तो वह भी देश सेवा ही है। यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार के सदस्यों की सेवा कर रहा है तो वह भी देश सेवा ही है।
परोपकार करें, पाप नहीं
राज्यपाल ने कहा कि अठारह पुराणों का सार तत्व यही है कि परोपकार पुण्य है और किसी को दुःख पहुंचाना पाप। इसलिए जीवन में किसी को कष्ट पहुंचाने का कार्य न करें बल्कि अनुशासन के साथ सहयोगी बने।
मैंने जीवन भर संघर्ष किया, लेकिन सिद्धांतों से डिगा नहीं
राज्यपाल ने कहा कि वे गांव में पैदा हुए, गांव में रहे। घर में मिले संस्कारों को अपनाया और जीवन भर नियमों से बंधा रहा। सही काम ही किया। खूब तकलीफें सहन की। कभी मन में अंहकार नहीं रखा। सिद्वांतों पर ही चला। यही मेरी सफलता का राज है।
कभी वैल में नहीं गया
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि वे अनेक बार सांसद रहे और विधायक भी रहे। लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। संसद और विधानसभाओं में 'वैल' एक स्थान होता है जहां सांसद व विधायक पहुंचकर विरोध दर्शाते है। मिश्र ने कहा कि वे कभी वैल में नहीं गये। वैल में जाना उनके सिद्धांतों में कभी नहीं रहा। उन्होंने सदैव संसदीय परम्पराओं का निर्वाह किया। वैल में नहीं जाने पर उन्हें वरिष्ठों की नाराजगी भी झेली, लेकिन वह अपने सिद्धांतों से कभी डिगे नहीं।