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कृषि में आधुनिक तकनीक से नवाचार करके किसान अपनी आय बढ़ाएं : राज्यपाल

जयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि कृषि में नवाचार करके और आधुनिक तकनीक को अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। खेती के जरिये ही किसान अपने बच्चों को स्वावलम्बी भी बना सकते हैं। इसके लिए कृषि वैज्ञानिको को किसानों का सहयोगी बनना होगा। राज्यपाल सोमवार को जोबनेर में श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित उद्यमिता विकास एवं किसानों के सशक्तिकरण के लिए जैविक खाद उत्पादन एवं बायोगैस तकनीक मेें नवीनतम प्रगति हेतु 21 दिवसीय शीतकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के शुभारम्भ सामारोह को सम्बोधित कर रहे थे।

 

राज्यपाल एवं कुलाधिपति मिश्र ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारम्भ किया, विश्वविद्यालय परिसर में स्थित श्री कर्ण नरेन्द्र सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी, नवनिर्मित सौर ऊर्जा संयंत्र और वर्षा जल संचयन संरचना का शुभारम्भ किया। गिर गाय संवर्धन एवं संरक्षण केन्द्र में गायों को गुड व चारा खिलाया। परिसर में मौलश्री का पौधा भी लगाया।

 

राज्यपाल ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है। अन्न उत्पादन ही खेती नही है। अब खेती के माध्यम से अनेक कुटीर उद्योग-धन्धे चलाये जा सकते हैं और उन्हे बाजार में विभिन्न प्रकार से पेश कर किसान अपनी आजीविका को बढ़ा सकते हैं। आटा, आलू की चिप्स, टमाटर सॉस, बेकरी आदि ऎसे अनेक उद्योग-धन्धे है, जिनका लाभ किसान आसानी से उठा सकते हैं। राज्यपाल ने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि इन उद्योग-धन्धों को किसानों द्वारा नही किये जाने से इनका लाभ बड़ी-बड़ी कम्पनियां उठा रही है। कृषि वैज्ञानिको को किसानों को कुटीर उद्योग-धन्धाें के लिए प्रेरित करना होगा।

 

राज्यपाल ने कहा कि पानी का कम से कम उपयोग किया जाए और अधिक से अधिक जल का संरक्षण किया जावे। उन्होंने कहा कि इससे भू-जल बढे़गा और पैदावार भी अधिक हो सकेगी। राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिको का आव्हान किया कि वे अनुसंधान करें कि सूखी मिट्टी से पैदावार कैसे प्राप्त की जा सकती है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने और पशुपालन की दिशा में किसानों को जोड़ने के तरीके भी कृषि वैज्ञानिको को ढूंढने होंगे। राज्यपाल ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को ग्रे वाटर को खेती में उपयोग के लिए शोध करने की आवश्यकता है।

 

कुलाधिपति मिश्र ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को देश का आदर्श विश्वविद्यालय बनायें। विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक, अधिकारी और कर्मचारी मिलजुल कर सकारात्मक मानसिकता और कार्य के प्रति चिन्ता व निरन्तरता बनायेगें तो निश्चित तौर पर विश्वविद्यालय प्रगति करेगा और देश के सामने मिशाल बन सकेगा।

 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषि शिक्षा के सहायक महानिदेशक एम.के. अग्निहोत्री ने कहा कि ऎसे कार्यक्रमाें से कृषि वैज्ञानिको के साथ छात्र-छात्राएं भी किसानों और कृषि की विभिन्न समस्याओं को समझ सकते है। कुलपति प्रोफेसर जीत सिंह संधू ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि विश्वविद्यालय में चालीस प्रतिशत छात्राएं अध्ययन कर रही है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने कृषि की 169 नई प्रजातियां की किस्मों को तैयार किया है। अनुसंधान निदेशक डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने 21 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। समारोह में कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सात प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल ने प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। 

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