बेनीवाल ने पालड़ी स्थित राजकीय सम्प्रेक्षण एवं बाल गृह का निरीक्षण भी किया। उन्होंने महिला एवं बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले बालकों की शिक्षा, सुरक्षा, पोष्टिक आहार तथा कौशल विकास की दिशा में कार्य किया जाना चाहिये। उन्होंने सम्प्रेक्षण एवं बाल गृह में उपलब्ध कराई जा रही सुविधाओं का निरीक्षण किया तथा उन पर संतोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि बालकों की काउंसलिंग तथा मोटिवेशन के लिये भी नियमित व्यवस्था करें।
बेनीवाल ने सर्किट हाउस में जनसुनवाई करते हुए कहा कि बालकों के उत्पीड़न की शिकायतों में वृद्धि हुई है। वह स्वयं राज्य के सभी जिलों का दौरा कर वस्तुस्थिति से अवगत हो रही हैं। समस्याओं का गहराई से अध्ययन के लिये प्रत्येक जिले में व्यक्तिगत रुप से जनसुनवाई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। बाल अधिकाराें के प्रति लोगों को सजग करने के लिये शिक्षा तथा अभिभावकों के लिये जागरुकता कार्यक्रम भी आयेाजित किये जायेंगे। बाल विवाहों की रोकथाम के लिये विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है तथा ऎसी व्यवस्था की जायेगी कि आखातीज के अलावा भी साल भर बाल विवाहों की रोकथाम हो सके। पुलिस थानों में बाल डेस्क की स्थापना हो तथा पुलिस चाइल्ड फ्रेण्डली बनें।
आयोग अध्यक्ष ने कहा कि 10 से 19 वर्ष आयुवर्ग के बच्चों में कुपोषण रोकने के लिये महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ काम किया जायेगा। बच्चों को दागने की घटनाओं पर लगाम लगाने एवं उत्पीड़न रोकने पर सरकार की ओर से कोई कमी नहीं रखी जाएगी। कमी है तो सिर्फ लोगों में जागरुकता की। इसके लिये भी विशेष प्रयास किये जायेंगे तथा टीमें गठित की जाएगी जो नियमित रुप से जानकारी प्रदान करती रहे। बाल श्रम की सूचना मिलने पर होटलो, ढाबों के अलावा घरों एवं हर स्थान पर कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने सर्किट हाउस में एक-एक कर सभी मामलों की सुनवाई की तथा उनके शीघ्र निराकरण को आश्वस्त किया।