देश में पहली बार पोटाश की खोज तथा खनन में आगे हुआ राजस्थान
जयपुर। भूवैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिलों के नागौर -गंगानगर बेसिन में कुछ हिस्सों में लगभग 2400 मिलियन टन पोटाश के भंडार हैं। यह अनुमानित हैं कि यह भंडार पोटाश के घोषित विश्व भंडार का लगभग 5 गुना हैं। वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा की जा रही जांचों के आधार पर राज्य सरकार ने विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में पोटाश जमा का दोहन करने के लिए एक राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समिति का गठन किया है। केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एमईसीएल को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट देने लिए कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में तथा पायलट प्लांट अध्ययन करने के लिए नियुक्त किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा उपरोक्त अध्ययन के लिए समयबद्ध कार्य योजना का निर्णय लिया है जो आरएसएमएमएल, एमईसीएल और डीएमजीआर के बीच प्रस्तावित एमओयू के छह महीने के भीतर पूरा हो जाएगा। मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता की अध्यक्षता में नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में शुक्रवार को हितधारक परामर्श बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में खान सचिव, डीएमजी राजस्थान, एमडी- आरएसएमएमएल, सीएमडी-एमईसीएल और विभिन्न सीपीएसई, कॉरपोरेट और कंसल्टेंसी कंपनियों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
हितधारकों ने राज्य के उत्तरी पश्चिमी भाग में मौजूद पोटाश सहित जमा नमक में गहरी दिलचस्पी दिखाई। कुछ हितधारकों ने मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि प्रथम बैठक में ही हितधारकों को लाइसेंस परमिट प्रदान करें। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि छह से नौ महीनों में एमईसीएल द्वारा फिसिबिलिटी अध्ययन पूरा करने पर एमएमडीआर अधिनियम और नियमों के अनुसार समग्र लाइसेंस/खनन पट्टे पारदर्शी नीलामी की प्रक्रिया के बाद आवंटित किए जाएंगे।