मेघालय के ईस्ट खासी हिल्स जिले में स्थित छोटा सा गांव है मावल्यान्नांग। करीब 500 लोगों की आबादी और 100 मकानों वाले इस गांव में स्वच्छता जैसे लोगों का जुनून और मिशन है। मावल्यान्नांग को वर्ष 2003 से लगातार एशिया महाद्वीप के सबसे स्वच्छ ग्राम का दर्जा मिल रहा है। गांव में प्रतिदिन पांच लोग सड़क से पेड़ों की एक-एक पत्ती तक उठाते हैं। जैसे कि सड़क पर पेड़ का पत्ता पड़ा होना शर्मिंदगी की बात हो। सप्ताह में एक दिन सभी लोग गांव की सड़कों पर झाड़ू भी लगाते हैं। साल में एक दिन शिलांग-डाउकी हाईवे तक के 18 किलोमीटर मार्ग को साफ करते हैं। इस गांव को ईश्वर का बगीचा (गॉड्स ओन गार्डन) भी कहा जाता है। गांव की ख्याति ऐसी है कि अब यह देश-विदेश के पर्यटकों के लिए टूरिस्ट स्पॉट बन गया है। करीब-करीब हर दूसरे घर में होम कॉटेज आदि की सुविधा अतिथि सत्कार के लिए उपलब्ध है। गांव के बुजुर्ग से लेकर छोटे-छोटे बच्चे तक अपने घर और गांव को साफ रख रहे हैं। करीने से बने घरों के बाहर फूल और बांस के बने कूड़ेदान हर कहीं दिख जाते हैं। गांव में सौ फीसदी साक्षरता है।
भारत-बांग्लादेश सीमा के पास बसे इस गांव में स्वच्छता की अलख वर्ष 1988 में स्कूल शिक्षक रिशोत खोंगथोरम ने जलाई थी। उस दौर में महामारी गांव को चपेट में ले लेती थी। इससे कई बच्चों की मौत हो जाती थी। इससे चिंतित रिशोत ने स्वच्छता की अहमियत पहचानी और एक मिशन की तरह इस काम में जुट गए। शुरू में तो गांव की समिति के सदस्यों के बीच रिशोत की योजना को लेकर थोड़ी झिझक थी, लेकिन बाद में सब राजी हो गए। गांव की समिति ने 1988 में स्वच्छता अभियान शुरू किया। सबसे पहले जानवरों को घरों में बांधने की पहल हुई, फिर वे चाहे पालतू हों या आवारा। इसके बाद हर घर में शौचालय बनाने का आदेश हुआ, वह भी सैप्टिक टैंक के साथ। आगे चलकर रसोई से निकलने वाले कचरे के निस्तारण की योजना अमल में लाई गई। आज गांव के सभी घरों में सैप्टिक टैंक के साथ घरों से लगे बागीचों में कंपोस्ट पिट भी बने हुए हैं। सभी के लिए अनिवार्य है कि वे जैविक और अकार्बनिक कचरे को अलग-अलग रखें। जैविक कचरे को कंपोस्ट पिट में डालकर खाद बनाई जाती है जो खेतों में काम आती है, वहीं अकार्बनिक कचरे को बांस के बॉक्स में इकट्ठा किया जाता है। इसे महीने में एक बार शिलॉन्ग भेजा जाता है जहां इसको रीसाइकिल किया जाता है।
जहां एक ओर सफाई के मामले में हमारे अधिकांश गांवो, कस्बों और शहरों की हालत बहुत खराब है वहीं यह एक सुखद आश्चर्य की बात है कि एशिया का सबसे स्वच्छ गांव हमारे देश भारत में है। #2