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पिछले 40 दिनों की 'स्टे होम' की तपस्या व्यर्थ ना चली जाए

- लॉकडाउन-3 में तम्बाकू, गुटखा, पान मसाला की बिक्री में छूट खतरनाक -


केंद्र सरकार की ओर से लॉकडाउन-3 में तम्बाकू, गुटखा और पान मसाले की बिक्री को खोलना खतरनाक साबित हो सकता है। कोराना संकट में सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर जुर्माने का प्रावधान जारी होने के बावजूद यह निर्णय समझ से परे है। चूंकि यह सर्वविदित है कि तम्बाकू, गुटखा और पान मसाले का सेवन करने वाले पीक थूकते ही हैं और सार्वजनिक स्थानों पर मॉनिटरिंग भी जगजाहिर है। क्या गारंटी है कि तम्बाकू, गुटखा और पान मसाला खरीदने निकला व्यक्ति तुरंत ही सेवन शुरू नहीं कर देगा और घर-ऑफिस पहुंचने से पहले तक पीक नहीं थूक देगा? दूसरी बात यदि सार्वजनिक स्थान की जगह घर-ऑफिस में तम्बाकू, गुटखा और पान मसाले का सेवन कोई करेगा तो वाशरूम खराब करने की बजाय डस्टबिन में ही पीक थूकेगा, जो सफाईकर्मियों के लिए घातक साबित हो सकता है। चूंकि तम्बाकू, गुटखा और पान मसाले का सेवन करने वाले लाखों-करोड़ों की तादाद में हैं और बदकिस्मती से इनमें से कुछ कोराना पॉजिटिव हो जाते हैं तो इनकी थूकी पीक से जाने कितनों को संक्रमण फैल सकता है। थूकी गई पीक मच्छरों द्वारा भी इधर-उधर हो सकती है। सरकार ने तम्बाकू, गुटखा और पान मसाले की बिक्री को खोलने में केवल राजस्व संग्रहण पर ध्यान दिया है, इसके खतरनाक पहलू पर नहीं। अभी देश की स्थिति ऐसी नहीं है कि कोरोना से ज्यादा खतरा नहीं हो। चूंकि लॉकडाउन के कारण केसेज नियंत्रण में हैं। फिर भी यह सोचना चाहिए कि केसेज बंद या बहुत कम नहीं हुए हैं। ऐसे निर्णयों से कोरोना नियंत्रण के लिए आम आदमी की पिछले 40 दिनों की 'स्टे होम' की तपस्या व्यर्थ ना चली जाए।


  


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